हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का एक खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की गहरी निद्रा से जागते हैं, और इसी के साथ हर प्रकार के शुभ कार्यों का मुहूर्त फिर से शुरू होता है। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी या देव उत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, और इसे हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस साल यह पवित्र पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा।
कब रखा जाएगा देवउठनी एकादशी का व्रत? (kab rakha jayega dev uthani ekadashi ka vrat ? )
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से शुरू होकर 12 नवंबर को शाम 4:04 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करने का होता है।
देवोत्थान एकादशी के दिन प्रसाद में क्या चढ़ायें? (ekadashi ke din prashad me kya chadhaye)
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में कुछ विशेष चीजों का भोग लगाने का प्रचलन है। आइए जानते हैं कि इस पावन अवसर पर किन चीजों का भोग लगाया जा सकता है:
- दूध और दही
भगवान विष्णु को दूध और दही बहुत प्रिय है। यह शुद्धता का प्रतीक है और इसे शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर आप भगवान को खीर, दही और अन्य दूध से बने व्यंजन का भोग अर्पित कर सकते हैं। - फल
भगवान विष्णु को ताजे फल पसंद हैं। इस दिन उन्हें सेब, अंगूर, केला, संतरा जैसे फलों का भोग लगाया जा सकता है। ये फल शुद्धता और ताजगी के प्रतीक माने जाते हैं। - मिठाई
भगवान को विभिन्न मिठाइयां भोग के रूप में अर्पित की जा सकती हैं। मोतीचूर के लड्डू, गुलाब जामुन, बर्फी जैसे मिठाई भगवान विष्णु को चढ़ाई जा सकती है। मिठाई भोग में शामिल करने से सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। - कद्दू
कद्दू भगवान विष्णु का पसंदीदा खाद्य माना गया है। देवउठनी एकादशी पर कद्दू का हलवा, कद्दू की सब्जी या अन्य कद्दू के बने व्यंजन अर्पित किए जा सकते हैं। - तुलसी के पत्ते
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते। इसलिए, देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते को भगवान के भोग में अवश्य शामिल करें।
देवउठनी एकादशी का आध्यात्मिक महत्व ( Dev uthani ekadashi ka aadhyatmik mahatva)
चार महीने की चातुर्मास अवधि में भगवान विष्णु की योग निद्रा के कारण सभी मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल मुहूर्त का आरंभ होता है। यह दिन भक्तों के लिए भगवान के प्रति कृतज्ञता और आस्था को व्यक्त करने का है, और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस पावन अवसर पर विधिपूर्वक पूजा करने और शुद्ध भावना से भोग अर्पित करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।