कार्तिक मास हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने को भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। यह मास विशेषत: धार्मिक अनुष्ठानों, तप, साधना, दान और पवित्र आचरण के लिए समर्पित होता है। कार्तिक मास में कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें करना अति उत्तम माना जाता है, जबकि कुछ ऐसे होते हैं जिनसे बचना चाहिए। आइए जानें कि कार्तिक मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
क्या करें:
- स्नान और ध्यान करें: कार्तिक मास में हर दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान करना अत्यंत पुण्य दायक होता है। गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना सर्वोत्तम माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान और पूजा अवश्य करें।
- दीपदान करें: कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्व होता है। तुलसी के वृक्ष के सामने प्रतिदिन दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। दीपावली के अवसर पर घर के आँगन और मंदिर में भी दीप जलाना शुभ फलदायी माना जाता है।
- व्रत और उपवास रखें: इस मास में व्रत रखना विशेष पुण्य प्रदान करता है। सोमवार, एकादशी, और पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है। व्रत के साथ-साथ भगवान का भजन-कीर्तन करें और सत्संग में हिस्सा लें।
- दान करें: कार्तिक मास में दान का अत्यधिक महत्व होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन, और धार्मिक पुस्तकें दान करना चाहिए। विशेष रूप से दीपावली के समय जरूरतमंदों को दीप, तेल और अन्न का दान करना पुण्यदायी होता है।
- तुलसी पूजा करें: तुलसी का पौधा इस मास में विशेष रूप से पूजनीय होता है। हर दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना और उसकी पूजा करना जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति करता है।
क्या न करें:
- असत्य और अपवित्र आचरण से बचें: कार्तिक मास में असत्य बोलना, किसी का दिल दुखाना, और अपवित्र आचरण करने से बचना चाहिए। इस मास को पवित्रता और साधना का मास माना गया है, इसलिए संयम और शुद्धता का पालन करें।
- मांस-मदिरा का सेवन न करें: कार्तिक मास में मांस और मदिरा का सेवन वर्जित माना गया है। इस दौरान शुद्ध शाकाहारी भोजन करना और सात्विक आहार लेना शुभ माना जाता है। तामसिक आहार और पेय पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
- अधिक क्रोध और अहंकार न करें: इस मास में क्रोध, अहंकार और नकारात्मक भावनाओं से बचना चाहिए। भगवान की भक्ति और साधना में ध्यान लगाकर शांति और धैर्य का पालन करें।
- ध्यान और साधना में लापरवाही न करें: कार्तिक मास का समय साधना और ध्यान का होता है। इस समय का सदुपयोग भगवान विष्णु की आराधना में करें। आलस्य, अन्यमनस्कता और लापरवाही से बचें।
- अन्याय और अधर्म से दूर रहें: कार्तिक मास में अधर्म और अन्याय से दूर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त न हों। धर्म और सत्य के मार्ग पर चलें।
निष्कर्ष:
कार्तिक मास एक ऐसा समय है जब हम अपने जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति को सर्वोच्च स्थान दे सकते हैं। इस पवित्र महीने में ध्यान, साधना, व्रत और दान का विशेष महत्व होता है। क्या करें और क्या न करें का ध्यान रखते हुए, हम अपने जीवन में शुभता और शांति को प्राप्त कर सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस मास का संपूर्ण लाभ उठाएं।
सदैव याद रखें, कार्तिक मास भक्ति, पवित्रता और साधना का मास है, जिसे शुद्ध हृदय से जीना चाहिए।
Pingback: कार्तिक मास: वैज्ञानिक दृष्टिकोण – Sanatan Gurukulam