भारत में दीपावली न केवल उल्लास और उत्सव का पर्व है, बल्कि यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति का सशक्त साधन भी है। हमारे ऋषि-मुनियों और ज्योतिष मर्मज्ञों ने धर्मशास्त्रों के माध्यम से दीपावली, होली और अन्य व्रत-पर्वों के लिए सटीक तिथियों और शुभ मुहूर्तों का निर्धारण किया है। इस वर्ष दीपावली और लक्ष्मी पूजन की तिथि के बारे में काफी असमंजस है, विशेषकर 1 नवंबर 2024 के निर्णय को लेकर। आइए इस महत्वपूर्ण जानकारी पर ध्यान दें कि कैसे और क्यों 1 नवंबर को दीपावली मनाना उचित है।
दीपावली 2024: तिथि और निर्णय
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या की शुरुआत 31 अक्टूबर की दोपहर 3:53 बजे से होगी और यह 1 नवंबर की शाम 6:17 बजे तक रहेगी। इस प्रकार, 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन प्रदोष काल में अमावस्या का योग रहेगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार, दीपावली का पर्व उस दिन मनाना चाहिए जब अमावस्या प्रदोष काल में हो, और 1 नवंबर को पूरे भारत में यह संयोग बन रहा है। धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु जैसे ग्रंथों में इस प्रकार के निर्णय के लिए स्पष्ट शास्त्र वचन दिए गए हैं।
“धर्मसिंधु” और “निर्णयसिंधु” के अनुसार निर्णय
धर्मसिंधु के अनुसार, “प्रदोष व्यापिनी अमावस्या” के दिन लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। 1 नवंबर को अमावस्या प्रदोष काल में मौजूद रहेगी, और धर्मशास्त्र में इसे ही श्रेष्ठ मुहूर्त माना गया है। निर्णयसिंधुकार ने तिथि तत्व और ज्योतिषशास्त्र के वाक्य लिखकर इस बात की पुष्टि की है कि जब अमावस्या दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो अगले दिन इसे मनाना उचित होता है।
महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, 1 नवंबर को प्रदोष काल के दौरान लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। प्रदोष काल शाम 5:40 से 8:15 बजे तक रहेगा, जिसमें लक्ष्मी पूजन और दीपदान करना सर्वोत्तम होगा। साथ ही, इस दिन स्वाति नक्षत्र का विशेष संयोग भी प्राप्त हो रहा है, जो दीपावली पूजन के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण और पंचांग निर्णय
भारत के 200 से अधिक पंचांगों के आधार पर निर्णय लेने में अक्सर मतभेद होते हैं। लेकिन इस वर्ष वाराणसी में श्रीकांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती महाराज द्वारा आयोजित एक बैठक में देश के प्रमुख पंचांगकारों ने सर्वसम्मति से 1 नवंबर को दीपावली का पर्व मनाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय को ज्योतिषीय आधार पर सही माना गया है क्योंकि गणना के अनुसार, अमावस्या का संयोग प्रदोष काल में 1 नवंबर को बेहतर रूप में पाया जा रहा है।
निष्कर्ष: 1 नवंबर को दीपावली और लक्ष्मी पूजन क्यों?
सारांश में, 1 नवंबर को अमावस्या प्रदोष काल में होने के कारण इस दिन लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रसम्मत और ज्योतिषीय दृष्टि से भी श्रेष्ठ है। इस दिन प्रातः अभ्यंग स्नान, देवपूजन, अपराह्न में पार्वण श्राद्ध तथा प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन और दीपदान करना अनुकूल माना गया है। साथ ही, भारत की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने और धर्मपरायण जनता को भ्रमित न करने के लिए भी यही तिथि उचित है।
इस प्रकार, इस दीपावली पर सभी श्रद्धालु 1 नवंबर को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन कर अपने जीवन में समृद्धि और सुख का स्वागत कर सकते हैं।