शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक मास लग जाएगा। सभी मासों में कार्तिक मास को सर्वोत्तम मास माना गया है।यह मास व्यक्ति के समस्त पापों का नाश करके उसे रोग दोष आदि कष्टों से मुक्ति देकर धन धान्य से संपन्न करता है। आइए जानते है कि इस माह कौन से 11 प्रमुख कार्य करने चाहिए।
रोगापहम पातकनाश्कृतपरम सद्बुद्धिदम पुत्रधनदीसाधकम। मुक्तेरनिदानम् नही कार्तिकव्रताद विष्णुप्रियादान्यदिहास्ती भूतले।।
अर्थात् कार्तिक मास अर्पज्ञ प्रदान करने वाला, रोग विनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मान लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।
- नदी स्नान – कार्तिक मास के पूरे माह में पवित्र नदी का स्नान करने का प्रचलन है। इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में इन्द्रियों पर संयम रखकर चाँद – तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए नदी स्नान करना चाहिए।
- व्रत – कार्तिक माह में व्रत का विशेष महत्व है। इस माह में नित्य उपवास, फलाहार आदि का भी प्रावधान है। साथ ही व्रत धारण करके भगवान का स्मरण करने से अग्निष्टम यज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा सूर्य लोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारंभ करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
- दीपदान – इस माह दीपदान का विशेष महत्व है। नदी, तालाब अथवा किसी तीर्थ में दीपदान करने से सभी संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से मुक्ति भी पा लेता है।
- भूमि पर शयन – कार्तिक मास में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव पुष्ट होता है जिस से सभी प्रकार के रोग दोष और विकारों का नाश हो जाता है।
- तुलसी पूजन- इस माह में तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। कार्तिक में तुलसी पूजन करने से भगवान नारायण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आप प्रतिदिन संध्या और ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी जी को दीपदान भी अवश्य करें।
- दलहन का सेवन ना करें – कार्तिक मास में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही लहसुन प्याज आदि का पूरी तरह परित्याग कर देना चाहिए।
- तेल मालिश ना करें – इस माह में नरक चतुर्दशी ( कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर अन्य समय तेल मालिश को माना किया गया है।
- इन्द्रिय संयम- कार्तिक माह में इन्द्रिय संयम में ख़ासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इन्द्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोलना, निंदा या विवाद ना करना, मन पर संयम, भोजन के प्रति अधिक आसक्ति ना रखना, ना अधिक सोना ना अधिक जागना अत्यंत आवश्यक है।
- दान – इस माह में दान का भी विशेष महत्व है। अपनी क्षमता के अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य कोई वस्तु विशेष दान कर सकते हैं। इस माह में दान करने का अनन्य गुण फल प्राप्त होता है।
- पूजा – इस माह में तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा, और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत महत्व है। इस माह चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया, और क्षमा, इन छह कृतिका का पूजन अवश्य करें।
- दामोदराष्टकम का पाठ – कार्तिक मास में भगवान श्री कृष्ण को दामोदराष्टकम का पाठ अत्यंत प्रिय है। अतः आप प्रयास करें कि प्रतिदिन एक पाठ अवश्य करें।