जानिए क्यों मासिक धर्म (Period) से पहले और बाद में बढ़ती कामेच्छा (Sexual Desire) बढ़ जाती है। समझें PMS, हार्मोनल बदलाव, और जानें आत्मसंयम व काम भावना को नियंत्रित करने के आसान उपाय।

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क्या आपने कभी अनुभव किया है कि पीरियड्स (मासिक धर्म) से ठीक पहले या बाद के कुछ दिनों में आपकी कामेच्छा (sexual desire) अचानक बहुत बढ़ जाती है? और कभी-कभी आप अपने सिद्धांतों या आत्मसंयम से भटककर कोई ऐसा काम कर बैठते हैं जिसे बाद में “गलत चेष्टा” मानकर पछतावा होता है?
अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। यह एक जैविक और मानसिक रूप से सामान्य अनुभव है, लेकिन इसे समझना और संभालना बेहद ज़रूरी है।
🔶 कामेच्छा (sexual desire) होती क्यों है? — हार्मोनल समझ
हमारे शरीर का मासिक चक्र केवल शारीरिक परिवर्तन नहीं लाता, बल्कि हार्मोन के स्तरों में बदलाव के कारण मानसिक और भावनात्मक बदलाव भी होते हैं।
🔹 मासिक चक्र के चरणों में क्या होता है?
- Ovulation (अंडोत्सर्ग के आसपास):
- यह पीरियड्स से लगभग 10–16 दिन पहले होता है।
- एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर इस समय बढ़ जाते हैं, जिससे यौन इच्छा (libido) भी अधिक हो जाती है।
- PMS (Pre-Menstrual Syndrome):
- पीरियड से कुछ दिन पहले मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और कामोत्तेजना बढ़ जाती है।
- Menstruation के बाद:
- शरीर फिर से हार्मोनिक संतुलन की ओर बढ़ता है और ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे पुनः इच्छा जाग सकती है।
🔶 यह “गलत चेष्टा” क्यों बन जाती है?
जब यह इच्छा तीव्र होती है, और अगर हम सतर्क नहीं होते, तो कभी-कभी हम खुद को ऐसे कार्यों में शामिल कर लेते हैं जिन्हें हम नैतिक, मानसिक या आध्यात्मिक रूप से उचित नहीं मानते — जैसे:
- अश्लील सामग्री देखना
- हस्तमैथुन
- असंयमित कल्पनाएं करना
इनके बाद अक्सर गिल्ट (पछतावा), अपराधबोध, और आत्मग्लानि होती है।
🔶 समाधान: कैसे करें इस भावना का सही मार्गदर्शन?
✅ 1. अपने शरीर को समझें (Self-Awareness):
- अपने मासिक चक्र को ट्रैक करें (जैसे ऐप्स: Clue, Flo).
- जानें कि कौन से दिन आपकी इच्छा अधिक तीव्र होती है — यह जागरूकता ही सबसे पहली रक्षा है।
✅ 2. ध्यान और प्राणायाम:
- अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और त्राटक से मानसिक स्थिरता मिलती है।
- ये प्रैक्टिसेज़ आपकी ऊर्जा को उच्च स्तर पर ले जाने में मदद करती हैं।
✅ 3. व्यवधान और सकारात्मक दिशा:
- उस समय कुछ सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रहें:
- संगीत सुनना
- वॉक पर जाना
- किताब पढ़ना
- सेवा करना
✅ 4. सात्त्विक आहार और दिनचर्या:
- मसालेदार, तला-भुना, और मांसाहार इच्छाओं को बढ़ा सकते हैं।
- फल, हरी सब्जियां, दूध, और हल्का भोजन शारीरिक संतुलन बनाए रखते हैं।
✅ 5. आध्यात्मिक मार्गदर्शन:
- जप, ध्यान, कीर्तन और सत्संग से मन संयमित होता है।
- भगवद गीता का यह श्लोक मार्गदर्शन देता है: “अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते।”
(गीता अध्याय 6, श्लोक 35)
अर्थ: हे अर्जुन! अभ्यास और वैराग्य से ही मन को वश में किया जा सकता है।
✅ 6. अगर इच्छा तीव्र हो जाए तो क्या करें?
- स्वयं को दोषी न मानें।
- केवल “अगली बार और सजग रहने” का संकल्प लें।
- धीरे-धीरे संयम एक आदत बन जाती है।
🔶 कब विशेषज्ञ की सलाह लें?
अगर यह चक्र बार-बार मानसिक अशांति, आत्मग्लानि या दिनचर्या को प्रभावित कर रहा हो, तो योग प्रशिक्षक, थैरेपिस्ट, या आध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन लेना एक श्रेष्ठ निर्णय है।
🌟 निष्कर्ष:
कामेच्छा एक प्राकृतिक शक्ति है — समस्या तब होती है जब यह शक्ति गलत दिशा में बहने लगती है। यदि हम इसे समझकर, प्रेमपूर्वक और विवेकपूर्वक सही दिशा में लगाएं, तो यही शक्ति हमारी आत्मविकास, ध्यान, और भक्ति का आधार बन सकती है।
आप अकेले नहीं हैं — यह एक साझा मानवीय अनुभव है, जिसे समझ और साधना से सकारात्मक शक्ति में बदला जा सकता है।
🕉️ “काम को शक्ति बनाओ, शक्ति को भक्ति में रूपांतरित करो।”