भीष्म पंचक का पर्व हिंदू धर्म में भगवान विष्णु और महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह को समर्पित माना गया है। यह व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक पाँच दिनों तक चलता है। इस वर्ष भीष्म पंचक व्रत आज से आरंभ हो चुका है। इन पाँच दिनों के दौरान कुछ खास नियम और अनुष्ठान होते हैं जिनका पालन करना शुभ और आवश्यक माना गया है। मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से भगवान विष्णु और भीष्म पितामह प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
भीष्म पंचक व्रत के दौरान न करें ये कार्य
भीष्म पंचक व्रत के दौरान कुछ कार्य निषिद्ध माने गए हैं, जिनसे भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं। इन पाँच दिनों के लिए निम्नलिखित कार्यों से बचना चाहिए:
- मांसाहार और मद्यपान का त्याग: इन पाँच दिनों के दौरान मांसाहार और मद्यपान से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। यह समय आत्म-संयम और शुद्धता का है।
- धूम्रपान और नशे से दूर रहें: शरीर और मन को पवित्र बनाए रखने के लिए नशे के सेवन से दूर रहें।
- अहिंसा का पालन: व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, नहीं करनी चाहिए।
- वाणी में मधुरता रखें: कटु और कठोर शब्दों का प्रयोग न करें, क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव आपके आत्मिक शक्ति पर पड़ सकता है।
भीष्म पंचक के दौरान करें ये शुभ कार्य
भीष्म पंचक के पाँच दिनों में कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है:
- पवित्र नदियों में स्नान: भीष्म पंचक के दौरान गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है।
- दान-पुण्य करना: व्रत के दौरान अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से पुण्य लाभ होता है। दान से भीष्म पितामह और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- विशेष मंत्रों का जाप: भीष्मदेव को तर्पण देने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
भीष्मदेव के तर्पण के लिए मंत्र
भीष्म पंचक के दिनों में, भीष्मदेव को तर्पण देने के लिए निम्न मंत्र का जाप किया जा सकता है:
“ॐ वैयाघ्र पाद्य गोत्राय समकृति प्रवराय च अपुत्राय ददामयेतत सलिलं भीष्मवर्मन”
इस मंत्र का जाप करने से भीष्मदेव की आत्मा को शांति मिलती है, और भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। यह मंत्र भीष्मदेव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है और उन्हें सम्मान देने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
भीष्मदेव को अर्घ्य देने के लिए मंत्र
भीष्म पंचक व्रत में भीष्मदेव को अर्घ्य देने के लिए निम्न मंत्र का जाप किया जा सकता है:
“वसुनामवत्राय संतनोरतमजया च अर्घ्यम् ददामि भीष्माय आजन्म ब्रह्मचारिणे”
यह मंत्र उन लोगों के लिए है जो भीष्म पितामह की तपस्या, त्याग और धर्मनिष्ठा का स्मरण करते हैं। इस मंत्र का जाप करने से भीष्मदेव की कृपा बनी रहती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति का वातावरण रहता है।
प्रणाम मंत्र
अर्घ्य अर्पण करने के बाद भीष्मदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए:
“ॐ भीष्मः संतानव विरह सत्यवादी जितेन्द्रियः अभीर्दभिर्वपतन पुत्रपौत्रोचितम क्रियाम”
इस मंत्र से भीष्म पितामह को नमन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह मंत्र अर्पित करने से भक्तों को उनकी कृपा मिलती है और वे प्रसन्न रहते हैं।
निष्कर्ष
भीष्म पंचक व्रत एक पवित्र और आध्यात्मिक पर्व है जो हमारे जीवन में शुद्धता और शांति लाने का संदेश देता है। भीष्म पितामह और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इन पाँच दिनों के दौरान व्रत, स्नान, दान, और मंत्र जाप करना लाभकारी है।