मार्गशीर्ष अमावस्या 2024: जानिए कब है मार्गशीर्ष अमावस्या और क्या है स्नान-दान का शुभ समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इसे “मार्गशीर्ष अमावस्या” कहा जाता है, और यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान, पूजा और पितृ तर्पण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का संचार होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर विशेष पुण्यकाल में पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान देने का महत्व है, जिससे पितृ दोष का निवारण होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या

आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या की सही तिथि, समय और इससे जुड़ी अन्य खास बातें।


मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 की तिथि और समय (Margashirsha Amavasya 2024 Date and Time)

इस वर्ष 2024 में मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व 12 दिसंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन अमावस्या तिथि का प्रारंभ और समाप्ति समय इस प्रकार रहेगा:

  • अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 12 दिसंबर 2024, सुबह 4:50 बजे
  • अमावस्या तिथि का समापन: 13 दिसंबर 2024, सुबह 2:40 बजे

इस प्रकार, अमावस्या का पुण्यकाल विशेष रूप से 12 दिसंबर के दिन रहेगा, और इसी दिन स्नान-दान और पितृ तर्पण करना अधिक फलदायी माना जाता है।


मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व (Significance of Margashirsha Amavasya)

मार्गशीर्ष अमावस्या का प्रमुख उद्देश्य पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना और पितृ दोष से मुक्ति पाना है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि अमावस्या के दिन पितृ देवता धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इस दिन का महत्व खासकर उन लोगों के लिए अधिक है जो अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, या श्राद्ध करना चाहते हैं।

पितरों की शांति के साथ-साथ मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए गए स्नान और दान से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह दिन उन सभी के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं।


मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time for Bath and Donation)

स्नान-दान का कार्य प्रातःकाल से शुरू करना शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर पवित्र नदी, कुंड, या तालाब में स्नान करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद दान करने के लिए सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर तक का समय विशेष रूप से उत्तम है।

शुभ दान के रूप: इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, घी, कम्बल, आंवला और दक्षिणा का दान किया जा सकता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए गए इन दानों से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।


मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या करें (What to Do on Margashirsha Amavasya)

  1. स्नान: अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करें। यदि यह संभव न हो तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. पितृ तर्पण और पिंडदान: इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करें। यह पितृ दोष के निवारण का विशेष उपाय माना गया है।
  3. दान: अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना शुभ माना गया है।
  4. दीपदान: सूर्यास्त के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों के लिए प्रार्थना करें। इससे पितृ दोष का निवारण होता है।
  5. भोजन में सात्विकता: इस दिन सात्विक आहार का सेवन करें और तामसिक चीजों से बचें।

मार्गशीर्ष अमावस्या के लाभ (Benefits of Observing Margashirsha Amavasya)

  • पितृ दोष निवारण: इस दिन तर्पण और दान करने से पितृ दोष समाप्त होता है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  • सुख-समृद्धि: पवित्र स्नान और दान से घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
  • पुण्य फल की प्राप्ति: मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान-दान से व्यक्ति को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है और उसके जीवन के सभी दोष दूर होते हैं।
  • मन की शांति: इस दिन का विशेष ध्यान और प्रार्थना मानसिक शांति को बढ़ावा देती है और जीवन की बाधाओं से मुक्ति प्रदान करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पवित्र स्नान और दान करें। यह दिन न केवल हमारे पूर्वजों की शांति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस मार्गशीर्ष अमावस्या पर आप भी पितृ तर्पण और स्नान-दान करके जीवन में शुभता और सकारात्मकता का स्वागत करें।

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