हमारे देश में तुलसी का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। तुलसी को “विष्णुप्रिया” और “देव वृंदा” के नाम से भी जाना जाता है और इसे भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है। तुलसी का पौधा घर में सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक है, और इसलिए हम हर दिन इसे जल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी में जल अर्पित करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है? जी हां, तुलसी में जल देने के कुछ विशेष नियम और नीयम हैं, जिन्हें अगर सही से अपनाया जाए तो इससे अधिक पुण्य मिलता है।
आज हम आपको तुलसी में जल देने से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे, जिन्हें ध्यान में रखकर आप सही तरीके से इसकी पूजा कर सकते हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
1. सही समय पर जल अर्पित करें
तुलसी को जल अर्पित करने का सही समय है सुबह सूर्योदय से पहले। इसे विशेष रूप से संतान सुख, समृद्धि और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। सूर्योदय के बाद जल देने से उसका महत्व कम हो सकता है, इसलिए सुबह का समय आदर्श है।
नोट: अगर सूर्योदय से पहले जल अर्पित करना संभव न हो, तो दिन में किसी भी समय उसे जल दें, लेकिन हमेशा श्रद्धा और भक्ति के साथ।
2. ताजे और स्वच्छ जल का उपयोग करें
तुलसी में जल अर्पित करते समय ताजे और स्वच्छ जल का ही उपयोग करें। गंदा या पुराने जल का प्रयोग करना न केवल अपवित्रता का प्रतीक माना जाता है, बल्कि यह हमारी पूजा को भी निष्फल कर सकता है।
नोट: जल को हमेशा ताजे और स्वच्छ पात्र में ही रखें। साथ ही, यह ध्यान रखें कि जल से कोई भी अशुद्धता न जुड़ी हो।
3. जल अर्पित करते समय यह मंत्र पढ़ें
तुलसी को जल अर्पित करते समय कुछ मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। एक प्रसिद्ध मंत्र है:
“ॐ श्रीं ह्लीं क्लीं तुलसी देवाय नमः”
इस मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
4. हाथ की उंगलियों से जल अर्पित करें
तुलसी में जल अर्पित करने का तरीका भी महत्वपूर्ण है। जल को अपनी दाहिनी हाथ की तीन उंगलियों से अर्पित करें। बाएं हाथ से जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है, क्योंकि यह अशुद्धि का प्रतीक हो सकता है। जल अर्पित करते समय मन में भगवान विष्णु और तुलसी माता का ध्यान करें।
नोट: जल अर्पित करते समय पूरे श्रद्धा भाव से यह कार्य करें और मानसिक रूप से शुद्धता बनाए रखें।
5. तुलसी की पत्तियों को न तोड़ें
तुलसी में जल अर्पित करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप तुलसी के पत्तों को न तोड़ें। तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु के लिए बहुत पवित्र माने जाते हैं और इनका आदान-प्रदान बिना पूजा के नहीं करना चाहिए।
नोट: यदि आपको पूजा के लिए तुलसी के पत्तों की आवश्यकता हो, तो इसे धीरे-धीरे तोड़ें और कभी भी बेवजह पत्ते न तोड़ें।
6. तुलसी के पास धूम्रपान न करें
तुलसी के पौधे के पास धूम्रपान करना या कोई भी प्रकार का नशीला पदार्थ न सेवन करना चाहिए। यह न केवल तुलसी के पौधे की पवित्रता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे हमारे पूजा का पूरा फल भी नहीं मिलता। तुलसी का पौधा हमारे घर में पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक है, और इसे हमे शुद्ध रखना चाहिए।
7. तुलसी के पौधे को हमेशा साफ रखें
तुलसी का पौधा हमेशा शुद्ध और साफ-सुथरा होना चाहिए। कभी भी उसे गंदगी में न छोड़ें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन सकता है। पौधे के आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखें और यदि आवश्यक हो तो इसकी पत्तियों को हल्के से पानी से धोकर साफ करें।
8. तुलसी को कभी भी सूरज के सीधे संपर्क में न आने दें
तुलसी के पौधे को सूरज की सीधी किरणों में नहीं रखना चाहिए। इसे ऐसी जगह रखें जहां उसे हल्की धूप मिले, लेकिन सीधी धूप से बचाएं। अत्यधिक धूप से तुलसी के पत्ते मुरझा सकते हैं और उनका महत्व भी कम हो सकता है।
निष्कर्ष
तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे घर की शुद्धि, समृद्धि और शांति के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधन है। अगर आप रोजाना तुलसी को जल अर्पित करते हैं, तो उपर्युक्त नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। इन नियमों के अनुसार अगर आप तुलसी में जल अर्पित करते हैं, तो इसका फल अधिक शुभ और सकारात्मक होता है, और आप भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
याद रखें, तुलसी के पौधे का पूजन एक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करें।