पुखराज – रत्नों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव माना जाता है, और सही रत्न का चयन कर उसे विधिपूर्वक धारण करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और सकारात्मक बदलाव आते हैं। पुखराज, जिसे अंग्रेजी में “येलो सफ़ायर” भी कहा जाता है, ऐसे ही विशेष रत्नों में से एक है। यह बृहस्पति ग्रह से संबंधित है और इसे धारण करने से व्यक्ति को ज्ञान, धन, शिक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुखराज धारण करने से पहले इसके नियमों और सही तरीके को जानना जरूरी है, ताकि इस रत्न का पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके। आइए जानते हैं पुखराज धारण करने के नियम, लाभ और इसे धारण करने की सही विधि।
पुखराज रत्न के लाभ (Benefits of Pukhraj Stone)
- धन और समृद्धि का संचार: पुखराज को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक उन्नति और समृद्धि आती है।
- शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि: बृहस्पति ग्रह ज्ञान और शिक्षा का कारक है। पुखराज पहनने से पढ़ाई और करियर में सफलता प्राप्त होती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो शिक्षा, अध्यापन, शोध या लेखन के क्षेत्र में हैं।
- विवाह में सहयोग: कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होने से विवाह में देरी हो सकती है। पुखराज पहनने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
- स्वास्थ्य लाभ: पुखराज का संबंध स्वास्थ्य और लंबी उम्र से भी है। इसे पहनने से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: पुखराज रत्न आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक माना जाता है। यह व्यक्ति की ध्यान शक्ति को बढ़ाता है और मन की शांति प्रदान करता है।
पुखराज धारण करने के नियम (Rules for Wearing Pukhraj)
पुखराज धारण करने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है ताकि इसका सकारात्मक प्रभाव अधिकतम हो।
- शुद्धता और गुणवत्ता: पुखराज हमेशा शुद्ध और बिना किसी दोष वाला होना चाहिए। इसका रंग हल्का पीला और चमकदार होना चाहिए। इसका वजन भी व्यक्ति की राशि और स्थिति के अनुसार ज्योतिषी से परामर्श करके ही तय किया जाना चाहिए।
- धारण का सही समय: पुखराज धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन गुरुवार है, क्योंकि यह बृहस्पति ग्रह का दिन होता है। इस दिन सूर्योदय के समय या फिर दिन में 5 से 7 बजे के बीच इसे धारण करना लाभकारी होता है।
- धातु का चयन: पुखराज को सोने की अंगूठी या लॉकेट में धारण करना सबसे शुभ माना जाता है। अगर सोना उपलब्ध न हो, तो इसे पीतल या तांबे की धातु में भी धारण किया जा सकता है।
- उँगली का चयन: पुखराज को हमेशा दाएं हाथ की तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) में धारण करना चाहिए, जो बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है।
पुखराज धारण की विधि (How to Wear Pukhraj Stone)
पुखराज धारण करने से पहले इसकी विशेष पूजा और मंत्र का जाप करना अत्यंत आवश्यक है। यहां जानें पुखराज धारण की विधि:
- शुद्धि: गुरुवार को सूर्योदय से पहले पुखराज रत्न को गंगाजल या दूध में रखें और इसे साफ करें। इससे रत्न की शुद्धि हो जाती है।
- पूजन: रत्न को गाय के दूध, शहद, घी और तुलसी के पत्तों से स्नान कराएं और फिर एक साफ कपड़े में रखें।
- मंत्र जाप: “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इस मंत्र का जाप करते हुए पुखराज को धारण करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
- धारण: पूजा और मंत्र जाप के बाद पुखराज को तर्जनी उंगली में पहनें और बृहस्पति देव से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
किसे पुखराज धारण करना चाहिए (Who Should Wear Pukhraj)
- धनु और मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज अत्यंत लाभकारी माना गया है, क्योंकि इन राशियों का स्वामी बृहस्पति ग्रह है।
- ऐसे लोग जिनका बृहस्पति कमजोर हो या जिनकी कुंडली में बृहस्पति से संबंधित ग्रह दोष हों, वे पुखराज धारण कर सकते हैं।
- जो लोग शिक्षा, अध्यापन, और शोध कार्य में हैं, उनके लिए भी यह रत्न अत्यंत लाभकारी होता है।
महत्वपूर्ण: पुखराज धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श जरूर लें, क्योंकि यह एक प्रभावशाली रत्न है और इसे बिना सही सलाह के पहनने से विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।
सावधानियां (Precautions for Wearing Pukhraj)
- शुद्धता का ध्यान रखें: पुखराज को नियमित रूप से साफ रखें ताकि इसकी ऊर्जा बनी रहे।
- दोषरहित रत्न ही धारण करें: पुखराज में दरारें या धब्बे नहीं होने चाहिए। ऐसा रत्न नुकसान पहुंचा सकता है।
- अन्य रत्नों के साथ मेल: पुखराज को पहनते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह किन अन्य रत्नों के साथ पहना जा सकता है। उदाहरण के लिए, पुखराज को पन्ना या हीरे के साथ पहनना बेहतर माना जाता है, लेकिन इसे नीलम के साथ नहीं पहनना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
पुखराज रत्न का सही तरीके से धारण करना आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता ला सकता है। इसके नियमों और धारण की विधि का पालन करने से बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन, ज्ञान, और वैवाहिक सुख में वृद्धि होती है।
इसलिए, पुखराज को धारण करने से पहले इसकी पूजा, शुद्धता, और विधि को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें, ताकि आप इस दिव्य रत्न का पूर्ण लाभ उठा सकें।